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आवेदन आमंत्रित हैं
बुनियाद अक्टूबर 2016
सामाजिक परिवर्तन में कार्यरत युवाओं के लिए कार्यक्रम 21 अक्टूबर से 4 नवंबर
संभावना संस्थान : “नीति और राजनीति की संभावना”
जैसे कि आप जानते हैं, संभावना संस्थान पिछले तीन सालों से युवा कार्यकर्ताओं के लिए राजनैतिक शिक्षा का यह कार्यक्रम आयोजित कर रही है। इस वर्ष का यह 15 दिवसीय कार्यक्रम 21 अक्टूबर से 4 नवंबर 2016 तक होगा। सक्रिय कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए संभावना संस्थान द्वारा सहभागियों का आने जाने व रहने-खाने का पूरा खर्च उठाया जाएगा। महिला, दलित और आदिवासी प्रतिभागियों को प्राथमिक्ता दी जायेगी।यह कार्यक्रम उन युवा साथियों के लिए है जो पिछले कम से कम ३ वर्षों से किसी सामाजिक कार्यों में जुटे हुए हैं।
कार्यक्रम का संचालन अंजू व प्रोबीर (http://www.vikalpkriya.in/peo
- स्वयं के अनुभव, संघर्ष और चुनौतियाँ
- विकास, पूंजीवाद और नव उदारवादी आर्थिक ढांचों से जुड़े मुख्य मुद्दे
- जाति, साम्प्रदायिकता और पितृसत्ता – आज के हालात और ऐतिहासिक परिपेक्ष
- राज्य का स्वरूप – लोकतंत्र की छवि और बदलाव की राजनीति
- जन आन्दोलनों के सामने चुनौतियां
संघर्ष और निर्माण: अंतर्सम्बंध और आगे के रास्ते
क्या आप एक युवा कार्यकर्ता हैं ?
क्या आप शोषण के ढांचागत कारणों को समझने की प्रक्रिया में शामिल हैं?
क्या राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक असमानता के अंतरसम्बन्धों को और गहराई से जानना चाहते हैं ?
क्या बदलाव की राजनीती में जुड़े अपने जैसे और युवा साथियों से जुड़ कर एक सांझा चिंतन करने को उत्सुक हैं?
यदि हां, तो बन जाइये सहयात्री इस 15 दिनों के सफर में…
कार्यक्रम के बारे में
सामाजिक बदलाव और बदलाव की राजनीति में भागीदारी की प्रक्रिया जटिल है । आज के राजनैतिक माहौल में कार्यकर्ताओं के सामने कई चुनौतियां हैं – समाज में उदासीनता और बढ़ती असहींष्णुता; ‘विकास’ के नाम पर संसाधनों का बढ़ता निजीकरण और केंद्रीकरण; लोकतान्त्रिक प्रक्रियों की घटती जगह और जाती, धर्म, वर्ग और लिंग आधारित शोषण के पेंचीदा अंतरसंबंधों का जाल – ये सब नई मैदानी उलझनों और सवालों को खड़ा कर रहे हैं . इन उलझनों और सवालों का सामना करते हुए युवा कार्यकर्ताओं के भीतर उस सन्दर्भ और स्थानीय मुद्दों की एक समझ पैदा होती है. अक्सर यह भी होता है कि सामजिक परिवर्तन के काम में लगे हुए कार्यकर्ता अपने काम में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें व्यापक राजनैतिक – आर्थिक – सामजिक मुद्दों का गहराई से अध्ययन करने और अपने काम में शामिल करने का समय या मौक़ा ही नहीं मिलता। इसी समझ को सांझा कर के परखने और विकसित करने की प्रक्रिया है यह कार्यक्रम जिसका नाम है, बुनियाद।
15 दिन का यह कार्यक्रम ज़मीनी कार्यकर्ता को आज की राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक परिस्थितियों को समझते हुए स्वयं का द्रष्टिकोण स्पष्ट करने की प्रक्रिया में जोड़ने का एक प्रयास करता है . साथ ही आपस में तथा अनुभवी कार्यकर्ताओं के साथ संवाद से सीखने, समझने और प्रेरणा हासिल करने का अवसर है, यह कार्यक्रम.
कार्यक्रम में शामिल होने के लिए :
1. यह कार्यक्रम युवा कार्यकर्ताओं के लिए है – जिनकी उम्र 25 से 35 साल के बीच हो.
2. कार्यकर्ता ने किसी सामाजिक संस्था, संगठन, जन आन्दोलन के लिए कम से कम ३ साल काम किया हो.
3. यह कार्यक्रम हिन्दी में होगा.
कार्यक्रम का शुल्क:
इस कार्यक्रम का पूर्ण शुल्क लगभग ६५००/- है | यदि आप या आपका संगठन या संस्था यह शुल्क अदा करने में असमर्थ है तो योग्य राशि का योगदान कर सकते हैं । आवेदन पत्र में यह स्पष्ट कर दें।
स्थान: संभावना परिसर हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के पास एक गाँव में बसा है, यहाँ प्रांगण में ही रहने एव कार्यशाला की व्यवस्था उपलब्ध है.
पता है – ग्राम कंडबाड़ी, डाक घर कमलेहड, तहसील पालमपुर, जिला कांगड़ा 176061.
किसी और जानकारी के लिए मेल करे program(at)Sambhaavnaa.org
आवेदन फारम नीचे भरे:
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Buniyaad October 2016
21st October to 4th November 2016
A two week program for youth involved in initiatives of social change
When youth engages in initiatives of social and political change, they encounter numerous questions and contradictions on the ground. In facing these ground realities, they develop an understanding of the local issues and their context. Based on this understanding, they experiment, and attempt new ways of dealing with the existing socio-economic-political-environmental problems.
However, the preoccupation with localised environments and an overload of responsibilities within the movement or organisation often prevents a grasp of the larger socio-economic-political context we are all operating in. The young worker rarely finds time to study these ‘big-picture’ issues in any significant detail – thereby not developing the capability to make connections of local issues and efforts with the larger socio-political-economic context of today.
The socio-economic and political realities of our times are highly interconnected. Issues of development, livelihood, democracy, economy, ecology, communalism, education or human rights cannot be seen as independent of each other. The belief behind conceiving a program like ‘Buniyaad’ is that, in order to be effective, any socio-economic-political intervention of today requires an understanding of all these issues, as well their linkages to each other.
Buniyaad has been conceptualised for young social and political activists who have spent at least 3 years on the field. The program duration is for 2 weeks, and the attempt is to broaden the understanding of ‘on the field’ activists regarding big-picture issues in the social, economic, political spheres. The program offers an opportunity to be with, gain inspiration and knowledge from experienced activists. The participants also gain from sharing time and space at leisure with fellow activists working on diverse issues, across varying regions of the country.
The program highlights are as follows:
PERSPECTIVE BUILDING
1. Our Political context.
·What is the historical context of contemporary India’s society and institutions? On what ideals was India created? What are the promises of the constitution? How have we fared vis-à-vis those promises?
· How are the five pillars of democracy functioning? How does power operate in these institutions? How is the media aiding/hampering our fights and social movements?
· What other challenges does the Indian democracy face today? Deepening Democracy and Decentralization.
· Various political ideologies and their journeys. Civil society, peoples’ movements and citizen initiatives in today’s context.
2. Our Social Context
· What is the nature and context of the tribal struggle in India today?
· How relevant is the caste question in 21st century India?
· Dalit dignity, Minority issues, The Indian Courts and Justice machinery, Communal politics, Gender Issues
· The context and reality of Kashmir and the Northeast – and the issues of regional identity.
· Lessons from some of the big social movements of our times
3. Our Economic and Ecological context
·The origins of the notion of ‘progress’ / ‘development’
· Economic History – from hunter-gatherer societies to feudalism to capitalism to socialism. The neo-liberal capitalism of today – and a look at ‘development’ in this context. Its effects on politics, society and life in general. Its relations to the social movements of today.
The Pedagogy of ‘Buniyaad’:
The program shall use a variety of methodologies including interactive lectures and discussions facilitated by subject experts, live experience sharing by activists, film screenings and collective reflection, readings and presentations, group and individual exercises, amongst others, to enable participants to reflect on their current understanding, and help deepen the same.
Dates: 21st October to 4th November 2016
Contribution towards workshop costs: The expected contribution towards workshop costs from participants is 6500/- for 15 days. Participants who need partial or full waivers please do mention so in the application form.
Venue : Sambhaavnaa Institute, Village: Kandbari, Tehsil: Palampur, District: Kangra, Himachal Pradesh, PIN 176061
For more information : Phone: +91-889 422 7954, Email: programs@sambhaavnaa.org
To Apply : Fill out the application form above: