Home > Events > Closing the environmental compliance gap: Community based research methods for environmental justice
23 September, 2016
10:00 am
Sambhaavnaa Institute, Sambhaavnaa Institute

In the field of environmental justice, compliance is one of the least understood and researched topics. Since compliance may involve scientific and technological aspects of the environment, it is mostly left to technical experts, regulatory bodies and members of the industry. It has seen almost no public engagement or community action at the field and at policy levels.

Citizen engagement in the policy and practice of environmental compliance can reduce the environmental and social impacts of development, can make them the legitimate third party in monitoring systems that is otherwise comprised of only the government and companies, and can lead to better decision making on new projects, expansions and sectoral investments.

Applications are invited from young researchers, activists and community organisations interested in working on environmental compliance of industrial and infrastructure projects. Selected applicants can attend a 2.5 day workshop on community based research methods on environmental compliance and classroom sessions on concepts and practice of compliance.

The workshop is being designed and facilitated by Kanchi Kohli and Manju Menon of Centre for Policy Research  (CPR)- Namati with Bharat Patel (Gujarat) and Alok Shukla (Chhattisgarh) as resource persons. The resource persons and facilitators have used these methods for successful environmental justice work and policy analysis.


Contribution towards workshop costs: The expected contribution towards workshop costs from participants is 1750/- for 2.5 days. (The workshop will start on 23rd September afternoon and conclude on 25th evening) Participants who need partial or full waivers please do mention so in the application form.

Venue : Sambhaavnaa Institute, Village: Kandbari, Tehsil: Palampur, District: Kangra, Himachal Pradesh, PIN 176061

For more information : Phone: +91-889 422 7954, Email: programs@sambhaavnaa.org

Schedule:

Time 23rd September 2016
2:00PM to 3:00 Introductions
3:00 to 4:30 ENVIRONMENTAL JUSTICE AND THE PROBLEM OF COMPLIANCE: A review of environmental action in India (with a Q&A)
4:30 to 5:30 MAPPING THE ENVIRO-LEGAL LANDSCAPE: laws, compliance protocols in India governing EJ
5:30 Q&A
24th September 2016
9:30 to 11:30 PROBLEM KYA HAI: What is the problem? Linking non compliance to real time impacts in 4 cases identified by participants
Tea
11:45 to 1:00 SELECTING TRAVEL ROUTES: Locating appropriate institutions for remedies
Lunch
2:00 to 3:00 Groundtruthing environmental non compliance: Gathering evidence for EJ (Case study of WFDP, Kutch)
3:00 to 4:30 Planning and implementing a groundtruthing study: Group exercise (tea break included)
4:30 to 6:00 Presentations of groundtruthing study plans
25th September 2016
9:30 to 10:30 SANGHARSH AUR NIRMAN: Social movements and environment compliance (Case study of Sarguja, Chhattisgarh)
10:30 to 11:30 Group exercise on solving EJ cases
11:45 am to 1:00 PM Open Discussion
Lunch
2:00 to 3:30 MAKING DEMANDS: Seeking remedies for EJ cases (with Q&A)
Tea
4:00 to 4:45 TRACKING DATA ON EJ CASES: EJ case form and data tracking tools
4:45 PM Feedback

To Apply : Fill out the application form below:

आवेदन पत्र आमंत्रित हैं

पर्यावरण के लिए ज़रूरी कानूनी कार्यवाही की कमियों को कैसे कम करें ?

पर्यावरणीय न्याय के लिए समुदाय आधारित शोध के तरीकों पर कार्यशाला

पर्यावरणीय न्याय सुनिश्चित करने के लिए की जाने वाली कार्यवाही एक ऐसा विषय है जिस पर बहुत कम शोध करा गया है तथा जिसे सबसे कम समझा गया है। चूंकि पर्यावरणीय न्याय के लिए की जाने वाली कार्यवाहियों मे वैज्ञानिक और तकनीकी पक्ष भी शामिल होते हैं, इसलिए अक्सर इन कार्यवाहियों को तय करने की ज़िम्मेदारी,तकनीकी विशेषज्ञों, नियामक एजेंसियों तथा उद्योगों के सदस्यों के ऊपर डाल दी जाती है । इसकी योजना बनाने या इसे ज़मीन पर लागू करने मे जनता की भागीदारी या समुदाय की कार्यवाही दिखाई नहीं देती है ।

पर्यावरणीय न्याय सुनिश्चित करने के लिए बनाई जाने वाली योजना,  बनाने और करी जाने वाली कार्यवाही,  मे जनता की भागीदारी,  विकास के दुष्प्रभावों को कम करसकते हैं । यह जनता को कार्यवाहियों की देखभाल करने वाला तीसरा वैधानिक पक्ष बना सकता है । वरना यह सिर्फ सरकार और कंपनियों द्वारा ही किया जाता है । इससे निर्णय लेने की प्रक्रियाओं मे सुधार आयेगा और उद्योग की स्थापना उनके विस्तार और उस क्षेत्र मे नए निवेश के बेहतर अवसर निर्माण मे सहूलियत होगी ।

कौन आवेदन कर सकते हैं ? : युवा शोधार्थी , कार्यकर्ता , समुदाय आधारित संगठन , जो औद्योगिक एवं ढांचागत निर्माण के क्षेत्र मे पर्यावरणीय न्याय की कार्यवाहियों मे रुची रखते हों । ऐसे इच्छुक आवेदक ढाई दिन की कार्यशाला मे भाग ले सकते हैं,  जो पर्यावरणीय न्याय मे समुदाय की भागीदारी के लिए शोध के तरीकों , सिद्धांतों और कार्यवाहियों पर चर्चा सत्रों मे भाग ले सकेंगे ।

स्रोत व्यक्ति : यह कार्यशाला कांची कोहली और मंजु मेनन जो कि सेंटर फार पॉलिसी रिसर्च से हैं तथा नमिती और भारत गुजरात से तथा आलोक शुक्ला छत्तीसगढ़ द्वारा तैयार करी गई है तथा उनके द्वारा चलाई जाएगी । स्रोत व्यक्तियों नें लंबे समय तक इस पर्यावरणीय न्याय के क्षेत्र मे सफल प्रयोग एवं नीतियों के विश्लेषण का काम किया है ।

कार्यशाला की लागत हेतु आपका अंशदान : 2.5 दिन के लिए कार्यशाला के आयोजन मे प्रति सदस्य करीब रुपए  1750/- का खर्चा आएगा  । जिन प्रतिभागियों को आंशिक छूट चाहिए वे अपने आवेदन मे कृप्या इसका ज़िक्र करें ।

तारीखें : कार्यशाला 23 सितंबर को दोपहर बाद शुरू होगी । एवं 25 सितंबर 2016 की शाम को समाप्त होगी ।

स्थान : संभावना संस्थान , ग्राम कंडबाड़ी , तहसील – पालमपुर , ज़िला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश

पिन कोड 176061

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें – फोन +91-889 422 7954, Email:programs@sambhaavnaa.org

आवेदन की जानकारी https://www.sambhaavnaa.org/programs/closing-the-environmental-compliance-gap-community-based-research-methods-for-environmental-justice/

 

 

Open chat
Scan the code
Hello
Can we help you?