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01 December, 2024
9:00 am

बुनियाद

सामाजिक परिवर्तन में कार्यरत युवाओं के लिए कार्यक्रम

1-10 दिसंबर, 2024

संभावना संस्थान पिछले कई वर्षों से युवाओं और कार्यकर्ताओं के साथ सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक अन्याय से जुड़े मुद्दों पर दृष्टिकोण को व्यापक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करते आए है। इस श्रृंखला में हम युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बुनियाद नाम का कार्यक्रम कर रहे हैं। यह कार्यक्रम उन युवा साथियों के लिए है जो किसी भी रूप से सामाजिक कार्य में जुटे हुए हैं।

बुनियादी समझ की ज़रूरत क्यों है?

सामाजिक बदलाव और बदलाव की राजनीति में भागीदारी की प्रक्रिया जटिल है। इस समय भारत की राजनीति नफरत के आधार पर चलाई जा रही है। नफरत के मुख्य निशाने पर अल्पसंख्यकों को रख कर उन पर हमले करके बहुसंख्यक आबादी के जीवन से जुड़े मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है। पूंजीवादी कारपोरेटों को फायदा पहुंचाने के लिए आदिवासी इलाकों में जल जंगल ज़मीन की लूट और मानवाधिकारों का दमन किया जा रहा है।

आज के राजनीतिक माहौल में कार्यकर्ताओं के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं – समाज में उदासीनता और बढ़ती असहिष्णुता; ‘विकास’ के नाम पर संसाधनों का बढ़ता निजीकरण और केंद्रीकरण; लोकतान्त्रिक प्रक्रियों की घटती जगह और जाति, धर्म, वर्ग, लिंग आधारित शोषण के पेचीदा अंतरसंबंधों का जाल – ये सब नई मैदानी उलझनों और सवालों को खड़ा कर रहे हैं। समाज में सक्रिय युवा इन उलझनों और सवालों का सामना करते हुए,अपने सन्दर्भ और स्थानीय मुद्दों की एक समझ बनाते हुए, सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रयास करते हैं। परन्तु राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों का गहराई से चिंतन करने का समय या मौक़ा अधिकतर युवा साथियों को नहीं मिल पाता। इन मुद्दों को सांझे रूप से परखने की प्रक्रिया है यह कार्यक्रम जिसका नाम है, बुनियाद।

भारत का समाज पितृसत्ता, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, और पूंजीवाद जैसी अनेकों तरह की चुनौतियों से घिरा हुआ है – समाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक बदलावों की ज़रूरतों की मांग करता है। कई बार ऐसा अनुभव में आता है कि एक विषय पर काम करने वाले युवा/कार्यकर्ता की समझ अन्य विषय पर अधूरी या कई बार दोषपूर्ण भी हो सकती है। उदाहरण के लिए मजदूरों को संगठित करने वाले युवा की समझ जेंडर को लेकर अपूर्ण हो सकती है। इसलिए एक ऐसे कार्यक्रम की संकल्पना की गई है जिसमें युवा कार्यकर्ताओं को मुख्य मुद्दों की समझ बनाने की प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर दिया जाता है।  

  • क्या आप एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता हैं?
  • क्या आप शोषण के ढांचागत कारणों को समझने की प्रक्रिया में शामिल हैं?
  • क्या राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक असमानता के अंतरसम्बन्धों को और गहराई से जानना चाहते हैं?
  • क्या बदलाव की राजनीति में जुड़े अपने जैसे और युवा साथियों से जुड़ कर एक सांझा चिंतन करने को उत्सुक हैं?

यदि हाँ, तो बन जाइये सहयात्री इस 10 दिनों के सफर में।

कार्यक्रम के बारे में 

भारतीय समाज में धार्मिक विविधता के साथ जातीय भेदभाव का इतिहास सदियों पुराना है। जातिगत दमन और शोषण को धार्मिक नारों की आड़ में उस पर पर्दा डालकर पीड़ितों को ही आपस में लड़वाया जा रहा है। समाज के इसी ढांचे को विस्तार से समझना और उनकी एक दुसरे के साथ जुड़ी कड़ियों को जोड़ना ही बुनियाद कार्यक्रम का उद्देश्य है। इसके साथ वास्तविक चुनौतियाँ जैसे साम्प्रदायिकता, कौमवाद, और पूंजीवाद के तलवे चाटती हुई सरकार जिसने सत्ता की भूख और मुनाफे के लिए पर्यावरण को दाव पर रखा है – उसे समझेंगे।

कार्यक्रम में अलग-अलग स्रोत व्यक्ति, प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभव सांझा करेंगे। चर्चा के मुख्य विषय कुछ इस प्रकार होंगे:

  • ‘विकास’ क्या है? भारत में किसका विकास किया जा रहा है? किसका विनाश हो रहा है? संसाधनों की लूट, मजदूरी की लूट क्या है? 
  • जाति, साम्प्रदायिकता, राष्ट्रवाद और पितृसत्ता – आज के हालात, ऐतिहासिक परिपेक्ष और इनका हमारे प्रयासों से लेन-देन।
  • अर्थव्यवस्था, पूंजीवाद और नव उदारवादी आर्थिक ढांचे, विकास – इनके अंतर्सम्बध, और इनसे जुड़े मुख्य मुद्दे।
  • जेंडर तथा लिंग आधारित भेदभाव कैसे हो रहा है?
  • राज्य का स्वरुप और लोकतंत्र की चुनौतियां।
  • साम्प्रदायिकता क्या है? नफरत की राजनीति किसे कहते हैं? उसका इतिहास और स्वरूप क्या है? समाधान क्या है?
  • स्वयं के अनुभव, संघर्ष और चुनौतियाँ – समाज और सामाजिक कार्य में क्या है हमारी पहचान?
  • जन आन्दोलन –  संघर्ष और निर्माण का अंतर्सम्बध, पुराने प्रयासों से सीख, बदलाव की राजनीति क्या है? इसकी चुनौतियां, और आगे के रास्ते।

10 दिन का यह कार्यक्रम युवाओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं को आज की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों को समझते हुए स्वयं का दृष्टिकोण स्पष्ट करने और बनाने का एक प्रयास करता है। साथ ही आपस में, तथा अनुभवी कार्यकर्ताओं के साथ संवाद से सीखने, समझने और प्रेरणा हासिल करने का एक अवसर है।

सहजकर्ता / स्त्रोत व्यक्ति 

हिमांशु कुमार : हिमांशु जी इस कार्यशाला के संचालक और स्त्रोत व्यक्ति के रूप में हमारे साथ जुड़ेंगे। हिमांशु कुमार के बारे में अधिक जानकारी के लिए उनके नाम पर क्लिक करें।

भंवर मेघवंशी : भंवरजी आज कि जाती कि समस्या का इतिहास और समकालीन जाती के अनुभव पर चर्चा और सत्र करेगे

अन्य स्त्रोत व्यक्तियों  के बारे में जानकारी जल्द ही अपडेट कर दिया  जायेगा। पिछले कुछ कार्यक्रम में आये हुए स्रोत व्यक्ति: दुनु रॉय, तीस्ता सेताल्वाद,राहुल सोंपिम्प्ले,अंशु मालवीय,आशीष रंजन,​उत्पला शुक्ला,कामायनी स्वामी, भवर मेघवंशी और प्रशांत भूषण। 

कार्यशाला की शिक्षण-विधि

  • भाषण 
  • चर्चा–बहस
  • विभिन्न सामूहिक गतिविधियाँ 
  • फ़ील्डवर्क
  • थिएटर एवं फ़िल्मों का प्रयोग करते हुए उपरोक्त विषयों पर बातचीत

भाषा: हिंदी

कार्यक्रम में शामिल होने के लिए:

  1. यह कार्यक्रम उन युवा कार्यकर्ताओं व छात्रों के लिए है जो 21 से 35 वर्ष की उम्र श्रेणी में हैं। 
  2. आपने किसी सामाजिक संस्था, संगठन, जन-आन्दोलन के साथ कार्य या वोलंटियर किया हो। 

कार्यक्रम का शुल्क:

यह कार्यशाला किसी भी सरकारी संस्था या कम्पनी द्वारा आयोजित नहीं की जा रही है। अत: आशा करते हैं प्रतिभागी अपने रहने-खाने की व्यवस्था के कुछ हिस्से को पूरा करने के लिए 5000/- रूपये का अंशदान कर सकते हैं। जो प्रतिभागी अंशदान की राशि में कुछ छूट चाहते हैं, वे आवेदन में अलग से इसका ज़िक्र कर सकते हैं।

तारीख: 1 – 10  दिसम्बर, 2024
स्थान:  संभावना संस्थान, ग्राम व पोस्ट – कंडबाड़ी, तहसील – पालमपुर, पिन कोड 176061, ज़िला- काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश

अन्य जानकारी अथवा पूछताछ के लिए: व्हाट्सप्प/कॉल: +91-889 422 7954 (केवल 10 am – 5 pm के बीच कॉल करे); ईमेल – programs@sambhaavnaa.org

नीचे दिए हुए फॉर्म या इस लिंक पर जाकर आवेदन करें: https://forms.gle/rEF1YkLnEpRXrrHG7

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