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15 June, 2024
9:00 am

जनता के गीत एवं डफली कार्यशाला

15 से 18 जून 2024

कार्यक्रम के बारे में 

गीत, संगीत, नाटक व डफली – यह किसी भी प्रगतिशील जनवादी क्रांतिकारी आंदोलन का हमेशा से अहम हिस्सा रहे हैं। जनता में जोश भरने के लिए और हमारे मुद्दों को बहुत सरल तरीके से लोगों को समझाने के लिए गीत नाटक कविताएं हमेशा जन चेतना को जागृत करने का एक सशक्त माध्यम रहे हैं। लेकिन हम देख रहे हैं कि लंबे समय से पुराने गीत गाए जाते हैं जिसमें हमें कोई खराबी तो नजर नहीं आती लेकिन नए गीतों की भी रचना होनी चाहिए। इसके साथ जब गीत गाया जाए तो उसके साथ अगर डफली की ताल मिल जाए तो सुनने वालों में और गाने वालों में एक अलग तरह का जोश देखने को मिलता है। इसीलिए हम जन संगठनों में प्रतिशील संस्थानों में क्रांतिकारी संगठन में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को इस कार्यशाला में आमंत्रित करते हैं कि वह न केवल डफली बजाना सीखे इसके साथ ही नए गीतों की रचना करना, गीत गाना गीतों का प्रस्तुतीकरण कैसे किया जाए इन तमाम पहलुओं को समझ सके।  

डफली एक ऐसा वाद्य यंत्र है जिसे बाकी सभी बजाने वाले वाद्य यंत्र की तुलना में बहुत जल्दी और आसानी से सीखा जा सकता है। इसलिए ऐसे सांस्कृतिक संगठन जो नुक्कड़ शैली में नाटक करते हैं यह गीत गाते हैं उनके लिए डफली सीखने का महत्व और भी बढ़ जाती है क्योंकि डफली से बिना किसी बड़े ताम-झाम के हम जनता को इकट्ठा कर सकते हैं और अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से जनता में जनवादी और प्रगतिशील राजनीति का प्रचार कर सकते हैं।

जनता के गीत एवं डफली कार्यशाला उन युवाओं को आमंत्रित करती है जो डफली बजाना सीखना चाहते हैं और जो गीत लेखन की प्रक्रिया को सीखना चाहते हैं, इसके अलावा  संगीत संयोजन, तथा प्रतिरोध के संगीत की प्रस्तुतियां व निर्माण में रूचि रखते हैं| यह एक चार दिवसीय कार्यशाला है, इसमें गायक, संस्कृति-कर्मी गीतकार तथा वे लोग मौजूद रहेंगे जिन्होनें संगीत के द्वारा प्रतिरोध स्थलों को लोकतान्त्रिक बनाया है|
यह कार्यशाला वर्तमान अन्याय और भेदभाव के विरोध में अलग अलग तरह के गीत संगीत को सुनने, गीत गाने, गीत बनाने तथा उन पर चर्चा की शुरुआत भी करेगी|

आवेदन कौन कर सकता है: 

जो डफली बजाना सीखना चाहता है, जो लोग गीत लिख सकते हैं, गा सकते हैं अथवा एक या अनेक साज बजा सकते हैं (अभी हम इस स्थिति में नहीं हैं कि अगर आप में इनमें से कोई भी योग्यता नहीं है और आप महज़ एक उत्साही व्यक्ति हैं को इसमें शामिल कर पायें) 

जो भी साथी इस कार्यशाला में डफली बजाना सीखने के लिए आ रहा है उसके लिए यह जरूरी है कि वह अपने साथ अपनी डफली जरूर साथ लेकर आए

आयु सीमा: 18- 40
भाषा: हिंदी, पंजाबी, हरियाणवी

स्रोत व्यक्ति:
जगजीत कौर (निक्की) पंजाबी सांस्कृतिक गायिका है, जिन्होंने पिछले दस सालों में लगभग हर मोर्चे पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। निक्की ने विद्यार्थियों के संघर्ष में, किसान मोर्चों पर, महिलाओं के हक में ना केवल गीतों के माध्यम से अपनी आवाज़ बुलंद की है बल्कि सांस्कृतिक स्तर पर नाटक, नुक्कड़ नाटक आदि में भी अग्रणी भूमिका निभाई है।

वीरेन, सांस्कृतिक कार्यकर्ता, पिछले लगभग 30 वर्षों से थिएटर, गीत, संगीत से जुड़े रहे हैं, ढफली बजाने पर दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान व हरियाणा में कई वर्कशॉप कर चुके हैं।

राजेश कापडो, संस्कृति कर्मी, नुक्कड़ नाटक, जनगीत हिंदी, हरियाणवी, लेखन (सामाजिक राजनीतिक) के क्षेत्र में गत 20 वर्ष से ज्यादा समय से कार्यरत। फिलहाल अभियान द्विमासिक पत्रिका से जुड़े हुये।

कार्यशाला‌ ‌के‌ ‌लिए‌ ‌योगदान‌ ‌राशि‌ :

कार्यशाला‌ ‌में‌ ‌जुड़ने‌ ‌के‌ ‌लिए‌ ‌सहयोग‌ ‌राशि‌ ‌के‌ ‌रूप‌ ‌में‌ ‌‌रूपए‌ ‌3500/-‌‌ ‌दे‌ ‌सकते‌ ‌हैं‌|‌ ‌इसमें आपके रहने खाने और कार्यशाला में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री का मूल्य शामिल है| जो‌ ‌साथी‌ ‌यह‌ ‌शुल्क‌ ‌देने‌ ‌में‌ ‌असमर्थ‌ ‌हैं‌ ‌वो‌ ‌आंशिक‌ ‌योगदान‌ ‌कर‌ ‌सकते‌ ‌हैं‌‌|‌ ‌आर्थिक‌ ‌सहयोग‌ ‌की‌ ‌आवश्यकता‌ ‌को‌ ‌आवेदन‌ ‌पत्र‌ ‌में‌ ‌यह‌ ‌स्पष्ट‌ ‌कर‌ ‌दें। हमारे पास बहुत सीमित संख्या में आंशिक छूट हैं, इसलिए कृपया छूट के लिए तभी आवेदन करें जब आपको वास्तव में इसकी आवश्यकता हो। कृपया याद रखें कि अन्य लोग भी हो सकते हैं जिन्हें आपसे अधिक इसकी आवश्यकता है।

तारीख: 15 से 18 जून 2024 

स्थान – संभावना संस्थान, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश

अन्य जानकारी अथवा पूछताछ के लिए – व्हाट्सप्प/कॉल – +91-889 422 7954 (केवल 10 am – 5 pm के बीच कॉल करे); ईमेल – programs@sambhaavnaa.org

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