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22 May, 2024
9:00 am

जीवन विद्या परिचय शिविर

22 – 29 May 2024

क्या आप कभी सोचते हैं कि:

“मेरा उद्देश्य क्या है? जीवन क्या है? परिवार, संबंध आदि क्या हैं, क्यों है? क्या संबंधों में तालमेल हो सकता है? मेरे अधिकार क्या हैं? मेरी ज़िम्मेदारी क्या है? मूल्य, नैतिकता आदि क्या हैं? मैत्री, स्नेह, प्रेम (प्यार) क्या है? मतभेद और ग़लतफ़हमी क्यों होते हैं? क्या मेरा/हमारा लक्ष्य केवल पैसा कमाना है? समता, न्याय, शिक्षा सही अर्थों में क्या है? परिवार में, समाज में मेरी भूमिका क्या है? क्या, हमें सामाजिक होने-रहने की आवश्यकता है? इतने कानून, नियम, अधिनियम क्यों हैं? क्या हम एक दूसरे के बिना रह सकते हैं? समाज में शोषण क्यों है? ये संसार क्या है? प्रकृति में खनिज, वनस्पति, जीव-जानवर की भूमिका क्या है? ग्रह-गोल-सितारे क्या हैं? क्या, हम इस ब्रह्माण्ड में अकेले हैं? अस्तित्व है क्या?”

स्वभाविक रूप में मानव एक खुशहाल, सुरक्षित, सामंजस्यपूर्ण ज़िंदगी जीना चाहता है। स्वयं में सुखी, परिवार में सुरक्षित, समाज में सामंजस्य, व धरती में प्राकृतिक अक्षुण्णता। आप कैसा जीना चाहते हैं?

आज ये आकांक्षा केवल धन कमाने और दूसरों को प्रभावित करने, नियंत्रित करने तक सीमित है। लेकिन सच तो यह है कि हम कितना भी धन कमा लें, दूसरों को प्रभावित कर लें, इसमें तृप्ति तो नहीं मिलती है। क्या आप को तृप्ति की तलाश है?

वर्तमान स्थिति तो यह है कि धन और यश की इस दौड़ में स्वयं का (शारीरिक व मानसिक स्थिति का) एवं संबंधों का ह्रास हो रहा है, जिसके फलन में समाज में कलह, झगड़े व शोषण है। लगता है कि, मुख्य धारा में हमने इस स्थिति को अपरिहार्य मान लिया है; सामंजस्यता की तो अब संभावना ही नहीं दिखती है। आपको क्या लगता है, क्या ऐसा है?

ऐसा जीने का विनाशकारी परिणाम चारों ओर दिख रहा है, परंतु हम इस विषमता को चाहते तो नहीं है। फिर भी, दुर्भाग्य से हम सब जाने-अनजाने या विवशता पूर्वक इस विषमता में भागीदार हैं और अनुमोदन भी कर रहे हैं। विडम्बना यह है कि, साथ ही सामंजस्य और स्थिरता की भी आशा कर रहे हैं। आपको क्या लगता है? क्या आप भी बेहतर समाज की कामना करते हैं?

जो चल रहा है, जो हम घटित करा रहे हैं, क्या हम यही चाहते है? क्या हमारे पास इस सबका कोई विकल्प हो सकता है? क्या मानव एक दूसरे के साथ तालमेल पूर्वक जी सकते हैं? क्या हम अपने संबंधों, परिवारों, समुदायों, समाज को पोषित कर सकते हैं? क्या प्रकृति के साथ तालमेल पूर्वक जीने की जीवनशैली संभव है? कई लोग इस प्रकार के उत्तर खोज रहे हैं; कुछने उत्तर पाए भी हैं व कई ऐसे भी हैं जो अलग-अलग स्तर पर इनके समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। यदि आप भी इस प्रकार के मुद्दों से जूझते हैं, तो जीवन विद्या परिचय शिविर आपके सामने समाधान के अर्थ में एक प्रस्ताव है।

नोट: जीवन विद्या के आधार पर जीना परिवार मूलक, समाज-मूलक, प्रकृति में संतुलन पूर्वक ख़ुशहाली; मज़बूती; ज़िम्मेदारी के साथ जीने की जीवनशैली है।

चुनौतियांअवसर
व्यक्तिबोरियत, भ्रम, अकेलापन, मोहभंग, अवसाद, आक्रामकताअर्थपूर्णता, स्पष्टता, जड़ता, उद्देश्यपूर्णता, आत्मविश्वास, शांति
परिवारसंबंधअतृप्त अपेक्षाएं, हस्तक्षेप, विश्वासघात, अन्याय, शोषण, कलह, विपन्नताजिम्मेदारी का निर्वाह, आपसी सहयोग, विश्वास, न्याय, पोषण, सौहार्द, समृद्धि
समाजभय, घृणा, द्रोह-विद्रोह, असमानता, बेरोज़गारी, सामाजिक शोषण, युद्ध, शासनसुरक्षा, सम्मान, पूरकता, समता, स्वावलंबन, सामाजिक सहयोग, सामरस्यता, व्यवस्था
धरतीप्रदूषण, ऋतु असंतुलन, धरती का ताप बडना, हवा-जल-आहार का अभाव एवं विषमताएँ।स्वच्छ वातावरण, ऋतु संतुलन, धरती में ताप नियंत्रण, खनिज-वनस्पति-पशु-पक्षी-तापमान-वर्षा-हवा के संतुलित चक्र जिससे धरती मनुष्य के साथ फले-फूले
जीवन विद्या  क्या है?जीवन विद्या परिचय शिविर क्या है?
जीवन विद्या, मध्यस्थ दर्शन पर आधारित सहअस्तित्व की अवधारणा को समझने व सहअस्तित्व आधारित जीने का प्रस्ताव है।8-दिवसीय निवासीय शिविर
परिचय शिविर में जीवन विद्या के मूल अवधारणाओं का परिचय मिलता है – स्वयं, संबंध, समाज, प्रकृति, और इन सबके मूल में सहअस्तित्व नियम का परिचय मिलता है। इन मूल अवधारणाओं के आधार पर हम जीने के आयामों में व्यवस्था, प्रयोजन, जिम्मेदारी, अपेक्षाओं को पहचान सकते हैं।1 या 2 प्रबोधक शिविरार्थियों के सामने जीवन विद्या के प्रस्ताव को जांचने के लिए प्रस्तुत करेंगे
जीवन विद्या के अनुसार हर व्यक्ति समझदारी के आधार पर जी सकता है; समझदारी के अभाव में अपनी मान्यता के आधार पर जीता है।प्रतिभागी के सभी स्पष्टीकरण (clarifications) का स्वागत है और उन्हें संबोधित किया जायेगा।
जीवन विद्या के अनुसार, समझदारी वह है जो स्वयं में व संबंधों में सामंजस्य लाए।यह शिविर करो-ना करो से मुक्त है, यानि इसमें उपदेश नहीं है।
जीने में यदि सामंजस्य का अभाव है तो समझदारी नहीं है, ऐसे में केवल अनुमान या मान्यता (assumptions) ही जीने का आधार रहता है, और इसकी जांच होनी ज़रूरी है। मान्यताओं से जानने की जो यात्रा ही सही मानों में शिक्षा है।यह किसी धर्म, सम्प्रदाय से संबंध नहीं रखता।
जीवन विद्या को समझने में प्रयासरत साथियों में धीरे-धीरे सामंजस्य पूर्ण जीवन शैली की दृष्टि विकसित होते देखा गया है।सामान्यतः 6 घंटे प्रतिदिन के सत्र होते हैं। इसलिए प्रतिभागियों इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहें।
 औपचारिक सत्र के अलावा अनौपचारिक संवाद भी होते रहते हैं।
 इस शिविर के लिए कोई कड़ी नियमावली नहीं है। प्रतिभागियों से अपेक्षा रखते हैं कि वे सभ्य, शिष्ट व सहयोगी हों। जिससे सीखना, समझने का माहौल बना रहे।
 इस कोर्स का कोई शुल्क नहीं है। यह एक दूसरे के साथ सुखपूर्वक साझा करने के लिए है।
 भोजन और आवास का शुल्क है। भोजन साधारण शाकाहारी रहेगा।

प्रतिभागी सहयोग राशि 

  • 21 मई शाम 5 बजे से 29 मई शाम 5 बजे तक सभी प्रतिभागिओं की साधारण रहने की व्यवस्था की जाएगी।
  • साधारण शाकाहारी पौष्टिक नाश्ता, दोपहर और रात का भोजन और दो समय चाय उपलब्ध करवाई जाएगी।
  • इस 8 दिवसीय कार्यशाला को आयोजित करने की लागत वर्तमान में ₹9500/- प्रति व्यक्ति है। हम ऐसा समझते है की यह धनराशि भावी प्रतिभागियों को कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्ध होने से रोक सकती है। इस कारण हम सभी प्रतिभागियो को कार्यक्रम ₹6500/- घटी हुई धनराशि में प्रस्तावित कर रहे है। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आपको लगता है कि इस तरह के कार्यक्रमों को समाज में बढ़ावा देने की आवश्यकता है तो पूरी राशि का भुगतान करने पर विचार करें।आप बकाया (9500-6500=3000) राशि का योगदान कभी भी कार्यक्रम से पहले, दौरान या बाद में कर सकते हैं। प्रतिभागियों को 6500 की राशि पंजीकरण के समय अदा करनी होगी
  • जीवन विद्या कार्यशाला के स्त्रोत व्यक्ति किसी भी तरह की फीस, चंदा, रूपए आदि को स्वीकार नहीं करेंगे, यह आपसी आनंद के लिए साँझा किया जायेगा।

स्त्रोत व्यक्ति : अशोक कुमार गोपाला, 53 वर्षीय, जिनका जन्म और परवरिश दिल्ली में हुई, अभी अपनी जीवनसाथी और दो बेटियों के साथ रायपुर, छत्तीसगढ़ में रहते हैं। पहले, पेशे से वह आईटी सेक्टर में कार्य करते थे। साल 2008 से वह जैविक खेती और जीवन विद्या कार्यशाला का संचालन कर रहे हैं।

भाषा – हिंदी

तारीख – 22 – 29 मई 2024

स्थान: संभावना परिसर हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के पास एक गाँव में बसा है. इस परिसर में ही कार्यशाला एवं रहने-खाने की व्यवस्था है। पता: ग्राम कंडबाड़ी, डाक घर कमलेहड, तहसील पालमपुर, जिला कांगड़ा 176061।

संभावना पहुँचने के लिए मार्गदर्शन – https://www.sambhaavnaa.org/contact-us/

किसी और जानकारी के लिए मेल करे programs@sambhaavnaa.org या Whatsapp/कॉल करें (10  am to 5 pm)  889 422 7954 ।

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