पड़ताल: खबरों की
16th-20th अक्टूबर, 2024
संदर्भ
हमारा सूचना तंत्र बुनियादी तौर पर एक धोखा है| हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी एक ऐसे सूचना आवरण में गुंथी हुई है जहां नियमित रूप से हम ऑनलाइन ठगी, नफरती प्रचार, साइबर धमकियां, जानकारियों की चोरी और अन्य अनेक तरीकों से संगठित गलत सूचनाओं का सामना कर रहे हैं| जिनके पास इस सबका नियंत्रण है वह लगातार जनता के प्रति अपनी जवाबदेही से बचते हैं और सरकार इस तरफ से अपनी नज़रें फेर लेती है| इस व्यवस्था के नकारा होने का असर हाशिये के अल्पसंख्यक समुदाय महसूस करते हैं|
कार्यक्रम के बारे में
AltED तथा संभावना संस्थान संयुक्त रूप से नागरिक संगठनों और जन आंदोलनों के लिए मीडिया और सूचना साक्षरता पर दिनांक 16 से 20 अक्तूबर तक पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर रहे हैं| कार्यशाला में भागीदारी कर रहे साथियों की गंभीर सैद्धांतिक समझ विकसित करने पर जोर दिया जाता है| यह कार्यशाला व्यस्क युवाओं, समुदाय, नेतृत्वकर्ताओं के लिए मीडिया साक्षरता कार्यशाला के पहले स्तर के लिए है जो मीडिया और इसके बनाये हुए तंत्र के हम पर होने वाले प्रभाव के बारे में समझना चाहते हैं| यह कार्यशाला उम्मीद करती है कि भागीदारी के बाद युवा नेतृत्वकर्ता समुदाय के मीडिया और सूचना विषय पर प्रशिक्षक के रूप में काम कर पायेंगे|
प्रथम स्तर की पांच दिवसीय कार्यशाला में हम प्रतिभागियों द्वारा ऐसी बातचीत में शामिल होने की उम्मीद करते हैं जिसमें हम मीडिया द्वारा सूचना किसे दी जा रही है? सूचना कौन दे रहा है? इन सूचनाओं के द्वारा समाज में कैसी प्रतिक्रियाओं का निर्माण किया जा रहा है? किसी राजनैतिक पार्टी की विचारधारा और गलत सूचनाओं को मुख्यधारा के मीडिया तथा डिज़िटल मीडिया द्वारा जिस तरफ फैलाया जा रहा है ऐसे में यह और भी ज़रूरी हो गया है कि जन संगठन और आन्दोलन के लोग यह समझ सकें कि मीडिया के मालिक किस तरह उनके जन आंदोलनों के विरुद्ध पूरी योजना बना कर तैयार बैठे हैं|
यह घोषणा दो कार्यशालाओं में से पहले स्तर की कार्यशाला के बारे में है जिसे AltED आल्ट न्यूज़ और संभावना संस्थान मिलकर कर रहे हैं| पहले स्तर की परिचयात्मक कार्यशाला के बाद अग्रिम स्तर की कार्यशाला कुछ माह बाद आयोजित करी जायेगी| प्राथमिक स्तर की कार्यशाला द्वारा हम समस्या को समझने में रूचि जगाने तथा अग्रिम स्तर की कार्यशाला हम मीडिया द्वारा पैदा की जा रही सूचना के उपभोक्ता समूह और मीडिया के अनेक स्तरों पर विभिन्न हित समूहों के बारे में जानेंगे| हम यह भी कोशिश करेंगे कि हमारे प्रतिभागी आगे जाकर अपने समुदायों के लिए उनकी ज़रूरत के मुताबिक़ मीडिया प्रशिक्षण कार्यक्रम बना पायें|
कार्यक्रम का लक्ष्य
- मीडिया में प्रतिनिधित्व किन वर्गों का है? मीडिया द्वारा जनता को क्या जानकारी दी जा रही है? सोशल मीडिया को किस तरह अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाया जा सकता?
- खबर क्या है,तथ्य क्या है, राय क्या होती है,पूर्वाग्रह क्या है, समझाइश क्या है, गलत सूचना क्या है इसे समझना| आज भारत में समाचारों की स्थिति क्या है तथा इसका हमारे लोकतंत्र और राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ रहा है|
- समाचार और औजार को समझना जिनके द्वारा हम मीडिया के जागरूक उपभोक्ता, उत्पादनकर्ता तथा प्रशिक्षक बन सकते हैं| इसके साथ ही तथ्यों की जांच करने की कला, विश्वस्त स्रोतों की जानकारी लेना,समाचार की उपादेयता पर सवाल कर सकना|
- युवा स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं का ऐसा समूह तैयार करना जो अपने समुदायों में मीडिया प्रशिक्षण का आयोजन कर सकें|
प्रशिक्षण के तरीके :
- गतिविधि आधारित अधिगम :- छात्रों, शिक्षकों तथा युवा वयस्कों के लिए पाठ्यक्रम जो पूरी तरह खेलों और संदर्भ आधारित गतिविधियों पर आधारित है|
- प्रोजेक्ट आधारित सीख :- प्रतिभागी कई सारे छोटे प्रोजेक्ट पूरे करते हैं तथा एक बड़ा समूह प्रोजेक्ट पूरा करते हैं जिसमें वह अपने छोटे प्रोजेक्ट की सीख को लागू करते हैं ताकि वह उस सिद्धांत के बारे में बेहतर समझ बना सकें|
- करो, सीखो और चर्चा करो :- यह कार्यक्रम अंत में प्रतिभागियों द्वारा किये गए कामों/प्रोजेक्ट के बारे में तथा उससे मिली सीख और उसे खुद की समझ बनाने के लिए काम करते हैं|
यह कार्यक्रम किसके लिए है ?
जो लोग ज़मीनी स्तर पर समुदायों समूहों के साथ शहरी अथवा ग्रामीण इलाकों में काम करते हैं और मीडिया के बारे में अपनी समझ बढ़ाना चाहते हैं तथा स्कूलों, कालेजों, सगठनों के लिए मीडिया कार्यशालाएं आयोजित करना चाहते हैं|
स्रोत व्यक्ति
अनीश मुखर्जी – निर्देशक (AltED): अनीश को एक प्रशिक्षक के रूप में 14 वर्षों का अनुभव है| वे एक व्यवसायी पाठ्यक्रम निर्माता तथा काम के लिए धन प्राप्त कैसे कर सकते हैं जैसे विषयों पर काम करते रहे हैं| अनीश अर्थशास्त्र में परास्नातक डिग्रीधारक हैं| उनका मुख्य काम कार्यक्रम में पहल करना, पाठ्यक्रम तैयार करना, साझेदारी को मजबूत बनाना और रणनीतिक कार्यक्रमों में अपना योगदान देना है| उन्हें विप्रो द्वारा फण्डर्स फेलोशिप दि गई है| वे गांधी फेलोशिप विजेता तथा IDEO शिक्षण चुनौती 2020 विजेता हैं|
महाप्रज्ञा नायक – स्रोत सामग्री तथा पाठ्यक्रम निर्माण समूह के प्रमुख (AltED): इनके रूचि के क्षेत्र बहुआयामी हैं जो शिक्षा तथा सिखाने की विधि बच्चों और स्थान के बीच के सम्बन्धों और मीडिया के बारे में है| वे अंग्रेज़ी विषय में परास्नातक तथा उन्होंने सामुदायिक मीडिया में डिप्लोमा हासिल किया है| वे एक प्रकाशन संस्थान और मीडिया संस्थान में सम्पादक रह चुकी हैं|
एलिया जमील – कार्य सम्पादन प्रमुख (AltED): एलिया आधुनिक इतिहास विषय में परास्नातक और शिक्षाशास्त्र में स्नातक हैं| उन्होंने लम्बे समय तक इतिहास और सामाजिक विज्ञान पढ़ाया है| उनका शैक्षणिक कार्य, सामाजिक विज्ञान और 21वीं सदी की जीवन में ताल – मेल बिठाना है| AltED में वह नए तकनीकों के माध्यम से सीखने और सिखाने वालों के बीच सम्बन्ध बिठाने का काम करती हैं|
प्रतीक सिन्हा – Alt News सलाहकार: प्रतीक आल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक हैं| यह भारत का एक मीडिया सूचना जांच प्लेटफार्म है| अपने 14 वर्ष के इंजीनिरिंग अनुभव के साथ प्रतीक पत्रकारिता और एक्टीविज्म में माहिर हैं| झूठी सूचनाओं, नफरती प्रचार का सामना करने वाली तंत्र को विकसित करना उनका मुख्य लक्ष्य है|
दिनांक: 16 से 20 अक्तूबर, 2024
स्थान: संभावना संस्थान, ग्राम व पोस्ट – कंडबाड़ी, तहसील – पालमपुर, ज़िला – काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश पिन कोड 176061.
भाषा: इस कार्यशाला की मुख्य भाषा हिंदी होगी|
कार्यक्रम हेतु अंशदान
हम चाहते हैं कि इस कार्यक्रम हेतु प्रतिभागी इसका व्यय वहन करने के लिए 3500/- का अंशदान दें| इसमें आपका भोजन,आवास और प्रशिक्षण में लगने वाली सामग्री शामिल है|
जो साथी जन आंदोलन के साथ जुड़े है और जो हाशिये पर है , उनके लिए फीस काम की जायेगी |
कैसे पहुंचे: कृपया यहां देखें
किसी अन्य जानकारी के लिए: व्हाट्सएप या कॉल करें: 889 422 7954 (सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच), और ई-मेल: programs@sambhaavnaa.org
INTERROGATING MEDIA
MEDIA AND INFORMATION LITERACY WORKSHOP
16th to 20th October,2024
Background
Our information ecosystem is fundamentally flawed. The systems comprising this infosphere have been weaponised in various ways including organised mis/disinformation, online scams, hate propaganda, cyber-bullying, data theft etc. Those who own and control these systems have consistently evaded public accountability, while the state has often turned a blind eye. The impact of this dysfunctional system has been most acutely felt by marginalised and minority communities
India, with a population of over 1.4 billion and a low literacy rate, has proven to be highly vulnerable to the adverse consequences of such an institutionally corrupt infosphere. The 2024 WEF Global Risk Report, which ranks countries at risk due to disinformation and misinformation, puts India at #1. The Indian Cyber Crime Coordination Centre revealed, in the first four months of 2024, Indians lost 7,061 crores to cyber crimes.
About the workshop
The solution to this complex problem lies in civil society networks organising and understanding how the media and information ecosystem impacts us at a community level. We believe it is important for civil society organisations to claim their space in the media ecosystem to be able to own their narrative. The proliferation of misinformation or partisan narratives in mainstream media as well as digital media makes it even more urgent that CSOs understand how media ownership and control affects their stories and have a counter plan.
The activities will help participants internalise some of the topics like distinguishing between facts and opinion, how media and social media platforms make money, where we as consumers stand in the ecosystem, how media creates perceptions and narratives to capture our imagination etc.
Media – whatever its form and application or use – is here to stay. Hence, it is essential for people to be aware of what constitutes the media ecosystem and how it impacts us.
Dates: 16th-20th October, 2024
Venue: Sambhaavnaa Institute,VPO –Kandbari,Tehsil–Palampur,District –Kangra,PIN 176061,Himachal Pradesh
Contribution towards Program Costs: We hope that participants will contribute an amount of Rs. 3500/- towards workshop expenses, including all on-site workshop costs: boarding, lodging, and all the materials used in the workshop).
If you are associated with social movements or belong to marginalized communities please feel free to ask for waivers.
Language: The program will be conducted in Hindi