Home > Events > वज्रसूची – सामाजिक न्याय पर कार्यशाला
10 June, 2024
9:00 am

वज्रसूची – सामाजिक न्याय पर कार्यशाला

10-14 June 2024

पृष्ठभूमि : 

भारतीय समाज में गैरबराबरी, अन्याय व शोषण सामाजिक जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है | जाति आधारित भेदभाव और छुआछूत अपने विभिन्न रूपों में आज भी कायम है,जबकि भारत का संविधान छुआछूत को गैर कानूनी घोषित कर चुका है और समता,स्वतंत्रता,बंधुता व न्याय को अपनी उद्देशिका में शामिल करके आगे बढ़ रहा है | राजनीतिक रूप से एक व्यक्ति,एक मत व एक मूल्य का सिद्धांत लागू भी हुआ है,लेकिन सामाजिक और आर्थिक न्याय अब भी नहीं मिल पाया है | वर्ण और जाति विरोधी विचारकों और आंदोलनों ने जाति के समूल नाश का सपना देखा परन्तु जाति ख़त्म होने के बजाय निरंतर मजबूत हो रही है तथा जाति आधारित भेदभाव,अन्याय व शोषण बढ़ रहा है| ऐसे में सामाजिक न्याय अब भी एक सपना ही है,हकीकत नहीं बन सका है | एक राष्ट्र राज्य के रूप में भारत तथा उसके नागरिक सामाजिक न्याय के सपने को साकार करने में विफल दिखाई पड़ते हैं|

उदेश्य:

जो लोग सामजिक न्याय की स्थापना की दिशा में कार्यरत हैं अथवा काम करने के इच्छुक हैं,उनकी समझ को और गहन करना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है | जाति व जाति जनित भेदभावों, वंचनाओं, दृष्टिकोणों, शोषण और अन्यायों के बारे में यह कार्यशाला कार्यकर्ताओं, मीडियाकर्मियों, शिक्षाविदों तथा नीति निर्माताओं को संवेदनशील बनाएगी और उन्हें जाति के उद्भव, उसके क्रमिक विकास, जाति आधारित निषेधों, जाति पंचायतों, जातिगत भेदभावों के इतिहास और जाति उन्मूलन की संभावनाओं पर गहराई तक सोचने समझने में मदद करेगी|

हमारा मानना है कि जब तक हम भारतीय समाज के सामाजिक ढांचे को नहीं समझेंगे, तब तक असमानता के सवालों के जवाव नहीं खोज सकते इसलिए यह ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है कि भारत में सामाजिक न्याय में बाधक जाति व्यवस्था का गहन अध्ययन किया जाये तथा उसे समझकर आधुनिक भारत को जाति से उत्पन्न समस्याओं से मुक्त करने की दिशा में आगे बढ़ा जाए |

कार्यशाला के बारे में:

कार्यशाला को 3 भागों में विभक्त किया जाएगा –

(1) इतिहास 

(2) सैद्धांतिक समझ तथा अनुभव आधारित समझदारी 

(3) जाति विनाश की व्यवहारिकता

इसमें जाति व्यवस्था क्या है ? उसका इतिहास क्या है, छुआछूत व भेदभाव में धर्मशास्त्रों की भूमिका, साम्प्रदायिक संगठन और जाति व्यवस्था तथा जातिवाद को ख़त्म करने के सम्बन्ध में सामने आने वाली चुनौतियों तथा जाति व्यवस्था का भारत में भविष्य आदि प्रश्नों को गहराई से देखा जायेगा | यह अतीत, वर्तमान तथा भविष्य की दृष्टि के निमार्ण के लिए भी महत्वपूर्ण होगा |

5 दिवसीय कार्यशाला का पाठयक्रम इस प्रकार रहेगा:

पहला दिन – जाति की उत्पत्ति और उसका विकास |

दूसरा दिन – जाति की वास्तविकताएं (जाति हमारे अन्दर,परिवार में तथा समाज में किस तरह से मौजूद है ? वह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी व कार्य व्यवहार में कैसे परिलक्षित होती है)

तीसरा दिन –जाति व्यवस्था का आर्थिक व राजनीतिक पक्ष |(क्या वर्ण व जाति की व्यवस्था का संसाधनों के बंटवारे से कोई तालुक है, इसकी पड़ताल ) साथ ही जाति की राजनीति और राजनैतिक रूप से जाति तोड़ने तथा जातिय गौरव के श्रेष्ठता दंभ तक की यात्रा पर नजर |

चोथा दिन –– जाति पर समग्र चिंतन | जातियों की विभिन्न धर्मों, समूहों, विचारधाराओं में मौजूदगी ( पसमांदा मुस्लिम, मज़बी, रविदासिया सिख, दलित ईसाई और वीरवाल जैन इत्यादि )

-जाति के भीतर के अंतर्द्वंद्व (जाति और उपजाति अस्मिता के संघर्ष)
-दलित और महादलित, सफ़ाई कर्मचारी समुदाय
-लैंगिक भेदभाव (दलित महिलाओं की स्थिति )
-शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव 
-विभिन्न देशों में जाति आधारित भेदभाव की घटनाएं और कानूनों का निर्माण 
-जाति व जातिगत आरक्षण बनाम योग्यता तंत्र की बहस

पांचवा दिन –जाति उन्मूलन का विचार एवम उसका व्यावहारिक पक्ष, क़ानूनी उपचार तथा वर्तमान हालात और भविष्य का रास्ता. -डॉ. अम्बेडकर का प्रसिद्द लेख (जाति का विनाश)
-संवैधानिक प्रावधान (उद्देशिका, अस्पृश्यता के अंत की घोषणा, समता का मौलिक अधिकार, नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, SCSP\TSP, एट्रोसिटी एक्ट, वनाधिकार कानून, 2 अप्रैल का दलित आदिवासी आन्दोलन, रोहित वेमुला एक्ट की मांग, स्पेशल डवेलपमेंट फंड्स एक्ट(Special Develoment Funds Act) आदि
-दलित आर्थिक अधिकार का भागीदारी आंदोलन  
-जाति तोड़ने के अनुभव और उसका व्यावहारिक पहलू
-आगे का रास्ता (इतिहास समझा, विकास देखा, वर्तमान भुगत रहे हैं, आख़िर इस जाति व्यवस्था का भविष्य क्या है, क्या यह मिट पायेगी ? अगर जाति मिटेगी तो इसकी रूप रेखा और भावी कार्ययोजना क्या होगी ? इस पर चिंतन मनन

स्त्रोत व्यक्ति :

  1. भंवर मेघवंशी
  2. खालिद अनीस अंसारी
  3. विमला विश्वप्रेमी
  4. सुखदेव विश्वप्रेमी

कार्यक्रम का शुल्क:

हमें उम्मीद है कि प्रतिभागी वर्कशॉप के खर्चों के लिए 2500/- रुपये की राशि का योगदान देंगे जिसमें सभी ऑन-साइट वर्कशॉप की लागतें शामिल हैं। आवश्यकता-आधारित आंशिक छूट उपलब्ध हैं; जो प्रतिभागी अंशदान की राशि में कुछ छूट चाहते हैं वे आवेदन में अलग से इसका ज़िक्र कर सकते हैं | हमारे पास बहुत सीमित संख्या में आंशिक छूट हैं, इसलिए कृपया छूट के लिए तभी आवेदन करें जब आपको वास्तव में इसकी आवश्यकता हो। कृपया याद रखें कि अन्य लोग भी हो सकते हैं जिन्हें आपसे अधिक इसकी आवश्यकता है।

आयु सीमा- 20 – 40

तारीख –  10-14 June 2024

स्थान – संभावना संस्थान, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश

अन्य जानकारी अथवा पूछताछ के लिए – व्हाट्सप्प/कॉल – +91-889 422 7954 (केवल 10 am – 5 pm के बीच कॉल करे); ईमेल – programs@sambhaavnaa.org

आवेदन करने के लिए फॉर्म उपलब्ध है:

Open chat
Scan the code
Hello
Can we help you?